
मुख्य बातें
20 साल बाद सक्रियता: बाराटांग का यह मिट्टी का ज्वालामुखी दो दशक (20 साल) से अधिक समय तक निष्क्रिय रहने के बाद 2 अक्टूबर को फिर से सक्रिय हो गया। आखिरी बार इतना बड़ा विस्फोट लगभग 2005 में रिपोर्ट किया गया था।
विस्फोट का स्वरूप (Nature of Eruption)
यह ज्वालामुखी एक तेज़ और बहरा कर देने वाली आवाज़ (धमाके जैसी) के साथ फटा।
विस्फोट के परिणामस्वरूप लगभग 3-4 मीटर ऊँचा मिट्टी का टीला बन गया, और कीचड़ भरी मिट्टी 1,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में फैल गई।
वन रेंजर के अनुसार, मिट्टी हवा में कम से कम 10-15 मीटर ऊपर तक फेंकी गई थी। छोटे विस्फोट अभी भी जारी हैं, और नीचे से लगातार कीचड़ और धुआँ निकल रहा है।
सुरक्षा और प्रतिक्रिया (Safety Measures)
इस घटना में किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
एहतियात के तौर पर, इस मशहूर पर्यटन स्थल की ओर पर्यटकों की आवाजाही तुरंत रोक दी गई है और वन विभाग ने सभी पहुँच मार्गों को बंद कर दिया है।
जियोलॉजिकल विभाग (Geological Survey of India – GSI) को भी घटना की सूचना दी गई है और उनकी टीम जल्द ही साइट का दौरा कर सकती है।
मड वोल्केनो क्या है (What is a Mud Volcano)
मिट्टी का ज्वालामुखी एक प्राकृतिक भूवैज्ञानिक घटना है। यह तब बनता है जब ज़मीन के नीचे से प्राकृतिक गैसें (जो जैविक पदार्थों के सड़ने से बनती हैं) दबाव के साथ पानी और कीचड़ को सतह पर धकेलती हैं, जिससे बुलबुले और क्रेटर बनते हैं। यह सामान्य ज्वालामुखी की तरह लावा नहीं उगलता है।
स्थान (Location)
बाराटांग उत्तरी और मध्य अंडमान जिले में स्थित है और पोर्ट ब्लेयर से लगभग 150 किलोमीटर दूर है।
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